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इंजीनियरिंग के सात आश्चर्य

इंजीनियरिंग के सात आश्चर्य (Seven wonders of Engineering)

मानव हमेशा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार नित नये-नये चीजों का निर्माण करता रहता है. हमेशा वह कुछ अनोखा या अजूबा बनाने की कोशिश करता है. सभ्यता के विकास के साथ-साथ रोज नये-नये  तकनीक की खोज होती जा रही है. जिन्हें देख कर अक्सर हम आश्चर्य में पड़ जाते हैं. ये सभी संभव हो पाते है बेहतरीन इंजीनियरिंग और कार्य कुशलता के कारण. आज हमारे इंजीनियर्स ने ऐसे कई संरचनाएं हमें दिये है जो हमारे उन्नत तकनीक को दर्शातें है.
पेश है इंजीनियरिंग के सात नायब नमूने. 

1. पाम आइलैंड : इसकी आकृति खजूर के पेड़ की तरह है जो दुनिया का सबसे बड़ा कृत्रिम आइलैंड (द्वीप) है. यह कृत्रिम आइलैंड दुबई में बनाई गई है. इस आइलैंड को तीन भागों में बांटा गया है - पाम जुमेरिया, पाम जेबेल अली और पाम दियेरा. यह असल में एक रेसिडेंसियल कॉम्प्लेक्स है. 

2. यूरोटनल : यह अपने आप में टनल इंजीनियरिंग का आश्चर्यजनक नमूना है. इस टनल का एक छोर फ्रांस में है तो दूसरा छोर इंग्लैंड में निकलता है. इस टनल की कुल लम्बाई 31 मील है जिसमें से 23 मील समुद्र से होकर गुजरता है. यह टनल इंग्लैंड और फ्रांस के बीच रेल यातायात के लिए बनाया गया है. 
3. नॉर्थ यूरोपियन गैस पाइपलाइन : यह नेचुरल गैस की पाइप लाइन है, जो रूस के वाईबोर्ग से लेकर जर्मनी के ग्रीफ्सवाल्ड तक है. यह उप समुद्रीय क्षेत्र से गुजरनेवाली सबसे लम्बी पाइपलाइन है. इस प्रोजेक्ट में दो सामानांतर पाइपलाइन है. ये दोनों पाइपलाइन 2012 में बन कर पूरा हुआ. इस पाइपलाइन की लम्बाई 1222 किलोमीटर है. 

4. यूएसएस जोर्ज एचडबल्यू बुश (CVN-77):- इस जहाज को बनाने में आठ साल का समय लगा।  इसका निर्माण 2001 में शुरू हुआ था जो 2009 में बन कर तैयार हुआ। यह जहाज 1092 फीट लम्बा और इसका वजन एक लाख टन है। इस जहाज को बनाने में 6.2 खरब खर्च किये गए. इसे USA के वर्जिनिया राज्य में बनाया गया था। यह दुनिया की सबसे बड़ी वारशिपों में से एक है। इसकी अधिकतम रफ्तार 30 नॉट तक है। यह अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित है। जहाज को उर्जा प्रदान करने के लिए दो न्यूक्लियर रिएक्टर लगे हैं। इसकी खासियत यह है की इसके न्यूक्लियर रिएक्टर इतनी उर्जा उत्पन्न कर सकती है की इसे 20 साल तक बिना दोबारा इंधन भरे चलाया जा सकता है।  
5. बैलोन्ग एलीवेटर : यह एलीवेटर चीन के वुलिंग्यूआन क्षेत्र में एक चट्टान पर बनाया गया है। इसे बनाने की शुरुआत 1990 में की गयी थी और यह 2002 में बन कर तैयार हुआ। यह दुनिया का सबसे भारी और ऊँचा एलीवेटर है। इसे शीशे से बनाया गया है। इसे हंड्रेड ड्रैगन एलीवेटर के नाम से भी जाना जाता है। इसकी ऊंचाई 330 मीटर है। यह एलीवेटर एक बार में 50 लोगों के ले जाने में सक्षम है तथा इसे नीचे से ऊपर जाने में मात्र दो मिनट का समय लगता है।  हर रोज करीब 18 हजार लोग इस एलीवेटर का प्रयोग करते है.

6. पैन स्टार्स : यह पेनोरेमिक सर्वे टेलीस्कोप एंड रैपिड रिस्पोन्स सिस्टम का संक्षिप्त रूप है. इस टेलीस्कोप को यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई, इंस्टिट्यूट फॉर एस्ट्रोनोमी द्वारा विकसित किया गया है. इस दूरबीन से एक बार में यह कहा जाता है की इससे पुरे आकाश का निरीक्षण किया जा सकता है. इस टेलीस्कोप से वैसे छुद्र ग्रहों और धूमकेतुओं का अध्ययन किया जाता है, जो पृथ्वी के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं. इससे न सिर्फ सौरमंडल के अन्दर बल्कि इसके बाहर की चीजों का भी बेहतर तरीके से अध्ययन किया जा सकता है.

7. मिल्लाऊ वायाडक् : यह एक ब्रिज है जो दक्षिण फ्रांस के मिल्लाऊ के नजदीक टार्न नदी की घाटी में बना हुआ है. इस ब्रिज की ऊंचाई 343 मीटर है. इसमें आधार (बेस) के बाद और कोई सहारा नहीं दिया गया है. यह ब्रिज 2004 में बन कर तैयार हुआ. इस ब्रिज को 2006 में IABSE के द्वारा बेहतरीन स्ट्रक्चर का अवार्ड भी दिया गया.
Tag: Seven wonders of Engineering in hindi. Engineering ke saat ashcharya

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