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बच्चों का दिमागी बुखार क्या है?

What is Dimagi Bukhar or Japani Encephalitis (in hindi)

जापानी इनसेफलाइटिस को दिमागी बुखार (Dimagi bukhar) भी कहा जाता है। यह मच्छर के काटने से होने वाला वायरल रोग है। यह फ्लेविवायरस के संक्रामण से होता है। विशेष कर यह 15 वर्ष तक के बच्चों को अपना शिकार बनती है। अतः इसमें सबसे पहले मच्छर से बचने की आवश्यकता है।

इनसेफेलाइटिस (दिमागी बुखार)  क्या है? (What is Encephalitis in hindi)

मानव शरीर के सिर में स्थित मस्तिष्क पर सूजन होने को ही इनसेफेलाइटिस कहते हैं। यह बैक्टीरियल संक्रामण के कारण होता है। मच्छर के काटने से बैक्टीरिया मानव शरीर में प्रवेश करता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को खराब कर देता है। इससे मस्तिष्क के उत्तक पर हमला होता है। यह संक्रामण अचानक होता है और बहुत ही तेजी से फैलता है। इस संक्रामण से "जापानी बी" तथा एक्यूत इनसेफेलाइटिस सिंड्रोम दो बीमारी प्रमुख रूप से सामने आती है। यह संक्रामण मुख्यतः बरसात के मौसम में ज्यादा फैलती है।

बच्चों के दिमागी बुखार के क्या लक्षण है? (Dimagi bukhar ke lakchan):-
इस संक्रामण से ग्रसित मरीज को फोटोफोबिया हो जाता है। तेज रोशनी से मरीज को परेशानी होने लगती है। तेज रोशनी के कारण उनके सिर में तेज दर्द होने लगता है। आँखों में पनि आना, तेज बुखार, झटके आना, बेहोशी आ जाना इस बीमारी के शुरुआती लक्षण होते है। इसका इलाज बहुत जल्द शुरू होनी चाहिए नहीं तो इसके परिणाम खतरनाक हो सकते है।

यह मानव शरीर तक कैसे पहुंचता है:- प्लेविवायरस जो मूलतः सूअर में पाया जानेवाला वायरस है। जब कोई मच्छर किसी सुअर को काटता है जिसमें यह वायरस होता है, तो मच्छर यह वायरस सुअर से ग्रहण कर लेता है। जब यह मच्छर किसी बच्चे को काटता है तो यह वायरस मच्छर के सहारे बच्चे के शरीर में प्रवेश करता है और वह बच्चा वायरस से संक्रमित हो जाता है। क्यूलेक्स ट्राइटेनियोरिक्स प्रजाति का मच्छर यह संक्रामण फैलता है। यह मच्छर आम तौर पर धान के खेतों में पनपता है।

इस बीमारी का वैक्सीन: इनसेफेलाइटिसका टीका उपलब्ध है। जिस क्षेत्र में सुअर की संख्या अधिक है वहाँ इस टीका को बच्चों को अवश्य दिला देना चाहिए। इसमे एक माह के अंतराल में दो बार वैक्सीन दिया जाता है। वैक्सीन बीमारी से पहले दिलाना चाहिए। जिस स्थान में इसके फैलने की आशंका ज्यादा होती है वहाँ यह टीका बरसात से कुछ महीने पहले ही दिला देनी चाहिए ताकि शरीर में प्रतिरोधी क्षमता विकसित हो सके।

बचाव के उपाय: इनसेफेलाइटिस से बचने के लिए साफ-सफाई का विशेष धायन देना चाहिए। घर पर कहीं भी मच्छर को पनपने न दें। बाहर से घर के अंदर मच्छरों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें। रात में सोने के वक्त मच्छरदानी अवश्य लगाएँ। संक्रामण फैलाने वाले मच्छर शाम के वक्त ही काटते हैं अतः शाम के समय पूरे बांह का कपड़ा पहने। बच्चों को इनसेफेलाइटिस का टीका अवश्य लगवाएँ।

इस बीमारी के आंकड़े:- भारत में हर साल यह बीमारी लगभग 50 हजार लोगों को होती है जिसमें से लगभग 20 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती है और लगभग एक हजार लोग विकलांग हो जाते हैं।

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