सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मानव शरीर से संबन्धित आश्चर्यजनक तथ्य जिसे आपको अवश्य जानना चाहिए

वैसे तो हम अपने शरीर के बारे में बहुत कुछ जानते हैं। हम जानते हैं की कौन सा शारीरक अंग क्या काम करता है। परंतु यह भी सच है है आज भी हम अपने शरीर के कुछ आश्चर्यजनक तथ्यों से अनजन हैं। प्रस्तुत है मानव शरीर के कुछ आचार्यजनक तथ्य जिसे आपको अवश्य जानना चाहिए। 
manav sharir ke ascharyajanak tathya


  •  मानव आँख लगभग 10 लाख अलग-अलग रंगों में अंतर कर सकता है परंतु मानव मस्तिष्क उन सभी रंगों को याद नहीं रख सकता है। 
  • एक व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 20,000/- सांस लेता है। 
  • मानव शरीर के सभी तंत्रिकाओं को एक साथ जोड़ा जाए तो इसकी लंबाई लगभग 75 किलोमीटर होगी। 
  • सिर्फ एक दिन के दौरान हमारे शरीर में बहने वाला रक्त लगभग 19,312 किलोमीटर की दूरी तक चलता है। 
  • मस्तिष्क में आने वाले आवेग की गति लगभग 400 कि० मी० प्रति घंटा होती है। 
  • किसी भी व्यक्ति के मुंह में बैक्टीरिया की संख्या पृथ्वी में रहने वाले लोगों की संख्या के बराबर या फिर उससे भी ज्यादा होती है। 
  • मानव शरीर के एक बाल में इतनी ताकत होती है की वह एक सेब को उठा सकता है। 
  • फिंगर प्रिंट की तरह ही मानव के जीभ का प्रिंट भी विशिष्ट होता है। 
  • हम केवल चार प्रकार के रक्त के बारे में जानते हैं पर ऐसा नहीं है मानव रक्त 29 प्रकार के होते हैं। इनमें बॉम्बे उपप्रकार सबसे विरल है जो जापान के एक छोटे से समूह में पाया जाता है। 
  • मानव के कान पूरे जीवन तक बढ़ते है परंतु इसकी बढ़ोतरी बहुत ही धीमी होती है जो एक मिलीमीटर के चौथाई प्रति साल के बराबर होती है। 
  • मानव हृदय एक साल में लगभग 35 लाख बार धड़कता है। 
  • मानव शरीर हर दिन लगभग 10 लाख त्वचा कोशिकाओं को खो देता है। इस तरह नष्ट हुए त्वचा कोशिकाओं का वजन प्रति वर्ष 2 किलो तक हो सकता है। 
  • प्रति वर्ग मानव शरीर की त्वचा में लगभग एक सौ दर्द संबन्धित सेंसर होते हैं। 
  • लड़कों के मुक़ाबले लड़कियों के जीभ के सतह में स्वाद संबंधी कलिकाएँ अधिक होती है। 
  • औसतन एक मानव अपने जीवन में लगभग 35 टन भोजन का उपभोग करता है। 
  • एक इंसान औसतन पाँच साल के अवधि के लगभग अपने पालक झपकने में लगता है। यह अच्छी बात है की इसके साथ हम अन्य कार्य भी कर सकते हैं। 
  • मानव मस्तिष्क में प्रति सेकेंड लगभग एक लाख रसायनिक प्रतिक्रियाएँ होती है। 
  • जब आप छींकते है तो इसकी गति लगभग 160 किमी प्रति घंटा होती है। 
  • जब हम मुस्कुराते हैं तो चेहरे के लगभग 17 मांसपेशियाँ क्रियाशील होती है जबकि रोने से चेहरे की लगभग 43 मांसपेशियाँ क्रियाशील होती है। 

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दुनिया के किन देशों में लोकतंत्र नहीं है?

दुनिया के किन देशों में लोकतंत्र नहीं है? घाना, म्यांमार और वेटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सऊदी अरब, जार्डन, मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, बहरीन, ओमान, कतर, स्वाजीलैंड आदि देशों में राजतंत्र है। इन देशों में लोकतान्त्रिक संस्थाएं भी काम करती हैं। नेपाल में कुछ साल पहले तक राजतंत्र था, पर अब वहां लोकतंत्र है। दुनिया में 200 के आसपास देश हैं, जिनमें से तीस से चलिश के बीच ऐसे देश हैं, जो लोकतंत्र के दायरे से बाहर हैं या उनमें आंशिक लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र है भी उनमें भी पूरी तरह लोकतंत्र है या नहीं यह बहस का विषय है।  लोकतंत्र और गणतंत्र में क्या अंतर है? लोकतंत्र एक व्यवस्था का नाम है। यानी हम जब भी फैसले करें तब यथेष्ट लोगों की सहमति हो, हालांकि यह अनिवार्य नहीं, पर व्यावहारिक बात है की उसकी संवैधानिक व्यवस्था भी होनी चाहिए। जब शासन पद्धति पर यह लागू हो तो शासन व्यवस्था लोकतान्त्रिक होती है। इसमें हिस्सा लेने वाले या तो आम राय से फैसले करते हैं और यदि ऐसा न हो तो मत-विभाजन करते हैं। ये निर्णय सामान्य बहुम

डायरिया क्या है और इससे कैसे बचें What is Diarrhea in hindi

यदि आपको दिन में तीन बार से अधिक पतला शौच हो तो यह डायरिया के लक्षण (Diarrhea ke lakchan)  होते हैं। यह बीमारी मुख्यतः रोटा वायरस के शरीर में प्रवेश से होता है। यह दो प्रकार का होता है - एक्यूट और क्रोनिक डायरिया।  डायरिया के कारक (Dairiya ke karak) :- डायरिया (Dayria) साधारणता दूषित पनि पीने से होता है। कई बार यह निम्नलिखित कारणों से भी होता है। 1. वायरल इन्फेक्शन के कारण 2. पेट में बैक्टीरिया के संक्रामण से 3. शरीर में पानी कि कमी से 4. आस-पास सफाई ठीक से न होने से डायरिया के लक्षण (Diarrhea ke laxan) :- दिन में लगातार तीन से अधिक बार पतला शौच आना डायरिया का मुख्य लक्षण है। यह साधारणता एक हफ्ते में ठीक हो जाता है। यह क्रोनिक डायरिया (Chronic Diarrhea) कहलाता है। समय पर इलाज न होने पर यह खतरनाक हो जाता है। यह ज़्यादातर बच्चों में होता है और इसमें मृत्यु का सबसे बड़ा कारण डिहाइड्रेशन होता है। पेट में तेज दर्द होना, पेट में मरोड़ होना, उल्टी आना, जल्दी जल्दी दस्त होना, बुखार होना, कमजोरी महसूस करना, आँखें धंस जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं। डाइरिया का इलाज (Dairiya ka

हाइपरएसिडिटी क्या है? What is Hyper acidity in Hindi

हाइपरएसिडिटी क्या है? अगर आपको भूख काम लगती है, पेट खाली होने पर जलन होती है, जो छाती तक महसूस होती है, बार-बार खट्टे डकार आती है, पेट एवं छाती में दर्द होता है, आपका शौच सही तरीके से नहीं होता है, सिर में भारीपन रहता है और नींद नहीं आती है तो समझ लीजिए कि आपको हाइपरएसिडिटि से पीड़ित है। हाइपरएसिडिटि को अति अम्लता भी कहा जाता है। इसका प्रमुख कारण है अनियमित आहार, चाय-कॉफी एवं सॉफ्ट ड्रिंग्स का अधिक सेवन, तीखे-मसालेदार भोजन का सेवन या देर तक खाली पेट रहना, मांसाहारी भोजन का अधिक सेवन, भूख लाग्ने पर भोजन न कर चाय-कॉफी का सेवन करना, सोने का समय निर्धारित नहीं होना, मानसिक तनाव, फल-सब्जियों में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग इत्यादि। उपचार :- इस रोग का उपचार बस इसके कारकों को दूर कर किया जा सकता है। नियमित समयानुसार भोजन ग्रहण करें। चाय-कॉफी और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कम करें। तीखे व मसालेदार भोजन का सेवन बंद कर कर दें। इससे पीड़ित रोगी का अपना पेट खाली नहीं रखना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल में कुछ अच्छा कहते रहना चाहिए। भोजन को खूब चबा-चबा कर खाना चाहिए। खाली पेट में ठंडा दूध का सेवन बहुत फायदेमंद हो

इ-मेल में @ का क्या महत्व है?

इ-मेल में @ का क्या महत्व है? अँग्रेजी के एट या स्थान यानी लोकेशन का वह प्रतीक चिन्ह है। शुरू में इसका इस्तेमाल गणित में 'एट द रेट ऑफ' यानी दर के लिए होता था। इ-मेल में इसके इस्तेमाल ने इसके अर्थ का विस्तार कर दिया। इ-मेल में पते के दो हिस्से होते हैं। एक होता है लोकल पार्ट जो @ के पहले होता है। इसमें अमेरिकन स्टैण्डर्ड कोड फॉर इन्फोर्मेशन इंटरचेंज (ईएससीआईआई) के तहत परिभाषित अक्षर, संख्या या चिन्ह शामिल हैं। चिन्ह @ के बाद डोमेन का नाम लिखा जाता है। यानी इस चिन्ह के पहले व्यक्ति या संस्था का नाम बताने वाले संकेत और उसके बाद डोमेन नाम। कुछ लोगों को लगता है की इस पते को केवल लोअर केस में लिखा जा सकता है। जबकि इसे अपर और लोअर दोनों केस में लिख सकते हैं। Tag: email pate mey @ ka kya mahatva hai? 

पहला इ-मेल किसने और कब भेजा था?

पहला इ-मेल किसने और कब भेजा था? इ-मेल इलेक्ट्रोनिक मेल का संक्षिप्त रूप है। दुनिया का पहला इ-मेल सन 1971 में अमेरिका के कैम्ब्रिज नामक स्थान पर रेमोण्ड एस टॉमलिन्सन नामक इंजीनियर ने एक ही कमरे में रखे दो कम्प्युटरों के बीच भेजा था। कम्प्युटर नेटवर्क अर्पानेट से जुड़े थे। अर्पानेट एक मायने में इंटरनेट का पूर्वज है। यह संदेश को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का प्रयोग था। इ-मेल को औपचारिक रूप लेने में कई साल लगे। अलबत्ता भारतीय मूल के अमेरिकी वीए शिवा अय्यदूरई ने 1978 में एक कम्प्युटर प्रोग्राम तैयार किया, जिसे 'ई-मेल' कहा गया। इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स ऑप्शन थे। सन 1982 में अमेरिका के कॉपीराइट कार्यालय ने उन्हें इस आशय का प्रमाणपत्र भी दिया। इस कॉपीराइट के बावजूद उन्हें इ-मेल का आविष्कारक नहीं कहा जा सकता।  Tag: Who sent the first email and when?