राडार सिस्टम क्या है?
रेडार एक ऐसा सिस्टम है, जो रेडियो तरंगों का उपयोग कर लक्ष्य का पता लगता है। रडार द्वारा रेडियो तरंग भेजी जाती है जो वस्तु से टकराकर वापस आती है जिससे उस वस्तु के बारे में पता लगता है। रेडार शब्द अंग्रेजी के शब्द 'रेडियो डिटेक्सन एंड रेंजिंग' का संक्षिप्त रूप है। रडार का अविष्कार टेलर एवं लियो यिंग ने सन 1922 में किया था।
हाल ही में इसरो ने आंध्रप्रदेश के तिरुपति में गडंकी आयोनोस्फेरिक रेडार इंटरफेरोमीटर (Gandanki Ionospheric Radar Interferometer - GIRI) की स्थापना की है। इससे अब आयनमंडलीय विसंगतियों का पता लगाना संभव हो सकेगा।
राडार सिस्टम कैसे काम करता है?
रेडार एक ऐसा सिस्टम है, जो रेडियो तरंगों का उपयोग कर लक्ष्य का पता लगता है। रडार द्वारा रेडियो तरंग भेजी जाती है जो वस्तु से टकराकर वापस आती है जिससे उस वस्तु के बारे में पता लगता है। रेडार शब्द अंग्रेजी के शब्द 'रेडियो डिटेक्सन एंड रेंजिंग' का संक्षिप्त रूप है। रडार का अविष्कार टेलर एवं लियो यिंग ने सन 1922 में किया था।
हाल ही में इसरो ने आंध्रप्रदेश के तिरुपति में गडंकी आयोनोस्फेरिक रेडार इंटरफेरोमीटर (Gandanki Ionospheric Radar Interferometer - GIRI) की स्थापना की है। इससे अब आयनमंडलीय विसंगतियों का पता लगाना संभव हो सकेगा।
तुमने चमगादढ़ अवश्य देखे होंगे। रेडार की तकनीक ठीक चमगादडों पर आधारित है। चमगादड़ अंधेरे में भी बिना किसी वस्तु से टकराये उड़ने के लिए रेडियो तरंग या विद्युत चुंबकीये तरंगों (Electromagnetic wave) का प्रयोग करते हैं। वे उड़ते हुए पराध्वनिक तरंगें (इसे इंसान नहीं सुन सकते) प्रसारित करते रहते हैं और दूसरी वस्तुओं से टकरा कर वापस लौटती आवाज (ध्वनि तरंगों) की मदद से चीजों का पता लगा लेते हैं। रेडार का विकास चमगादडों के साथ किये प्रयोग के आधार पर किया गया। यह दरसाता है की रेडियो तरंगों या विद्युत चुम्बकीय तरंगों की ध्वनि और प्रतिध्वनि चीजों का पता लगाने में सहायक होती। रेडार का आविष्कार (Invention of Radar) अमेरिका के साइंटिस्ट टेलर व लियो यंग ने वर्ष 1922 में किया था। यह यंत्र आने-जानेवाले वायुयानों की सूचना और उनकी स्थिति ज्ञात करने के काम आता है।
राडार सिस्टम कैसे काम करता है?
रेडार एक प्रकार से रेडियो स्टेशन की तरह काम करता है। इसमें एक ट्रांसमीटर और एक रिसीवर लगा होता है। यह रेडार के एरियल से संबन्धित होता है। रेडार के ट्रांसमीटर से रेडियो तरंगें निकलती है। इसका ट्रांसमीटर निश्चित समयान्तराल में रेडियो तरंगों को छोटे-छोटे कंपन के रूप में हवा में छोड़ता रहता है। यह एक सेकेंड के दसवें हिस्से के समय तक तरंगें संचारित करता रहता है, जो अपने लक्ष्य से टकरा कर वापस आती है। रेडार का रिसीवर रेडियो तरंगों के वापस लौटने का समय नोट कर लेता है। इसका रिसीवर टीवी की तरह काम करता है एवं जहाज जैसी दूर से आ रही वस्तु से टकरा कर लौट रही रेडियो तरंगों को स्क्रीन पर तस्वीर के रूप में प्रदर्शित करता है। इससे जहाज की दूरी, गति और सही दिशा के बारे में पता लग जाता है। दुश्मन के हवाई जहाज व ठिकानों का पता लगाने व निरीक्षण के लिए रेडार का उपयोग किया जाता है। यह लड़ाकू जहाजों के बारे में हजारों मिल दूर से पता लगा लेते हैं।
रेडार तकनीक का प्रयोग
आजकल रेडार तकनीक अत्याधुनिक हो चुकी है। अब सैन्य जरूरतों के अलावा हवाई यातायात परिवहन से लेकर अंतरिक्ष पर नजर रखने में भी रेडार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें हैं। रेडार जहाजों को धरती पर सुरक्शित उतारने, मौसम की जानकारी देने, बर्फ, धुंध बादल या वर्षा के बारे में सूचित करते हैं। अलग-अलग कार्यों जैसे मौसम, अंतरिक्ष आदि के लिए अब कई अलग तरह के रेडार प्रयोग में लाये जाते हैं।