सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन क्या है?

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन क्या है? What is International Space Station (ISS)? (in hindi)

यह आज तक के इतिहास में सबसे जटिल अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग परियोजना है और अंतरिक्ष में मानव द्वारा बनाया गया सबसे बड़ी संरचना है। यह अंतरिक्ष में उड़ता हुआ उपग्रह, नई तकनीक, खगोलीय, पर्यावरण और भूगर्भीय शोध के लिए एक प्रयोगशाला है। अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों द्वारा बनाया गया एक ऐसा स्टेशन है जहां से अंतरिक्ष के बारे गहराई से अध्ययन किया जा सकता है। 

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) को छोटे - छोटे टुकड़ों में अंतरिक्ष में ले जा कर इसके कक्ष (Orbit) में स्थापित किया गया। सबसे पहला मॉड्यूल, रूस का जरया मॉड्यूल सन 1998 में प्रक्षेपित किया गया था। दिनांक 2 नवम्बर, 2000 से लगातार अंतरिक्ष यात्री (Astronaut)  इस स्टेशन में कार्य कर रहे है। यह एक बड़े फुटबाल मैदान के बराबर है जिसमे कई सोलर पैनल लगे हुए है तथा इसका वजन लगभग 391000 किलोग्राम है। पारंपरिक पाँच बेड रूम के बराबर रहने की जगह है तथा दो बाथरूम, जिम और एक बे खिड़की (ऐसी खिड़की जो दीवारों से आगे निकली होती है) इस अंतरिक्ष स्टेशन (space station) में है, जिसमे छह अंतरिक्ष यात्री छह महीने तक रह सकते हैं। सबसे पहले तीन सदस्य वाल दल अंतरिक्ष स्टेशन में गया था, परंतु कोलम्बिया शटल (Colombia shuttle) के दुर्घटना ग्रस्त होने के बाद इसे घाटा कर दो सदस्यों वाला दल बनाया गया था। अंतरिक्ष स्टेशन में सन 2009 में छह सदस्यों वाला पूर्ण दल रह चुके है। अब तक इस अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (Antarrashtriya antrix station) में 13 लोग एक साथ रह चुके है। यह अब तक का अंतरिक्ष स्टेशन में सबसे अधिक लोगों की उपस्थिती का रिकॉर्ड है। 

अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी (Earth) से लगभग 248 मील (400 किलोमीटर) की औसत ऊंचाई पर उड़ती है। यह लगभग 17,500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से 90 मिनट में हमारी पृथ्वी का एक चक्कर लगती है। एक दिन में यह इतनी दूरी तय कर लेती है जितनी दूरी पृथ्वी से चंद्रमा (Moon) और फिर पृथ्वी वापस आने में होती है। अंधेरी रात में, अगर इसकी स्थिति का ज्ञान हो तो नंगी आँखों से भी आसमान में एक चलती चमकीले प्रकाश के रूप में इसे देखा जा सकता है। आप Satellite Tracker जो की N2YO.com द्वारा संचालित है से ISS की स्थिति का पता लगा सकते हैं। 

इस प्रोजेक्ट में NASA, Russia का Roscosmos State Corporation, European Space Agency, the Canadian Space Agency aur Japan Aerospace Exploration एजेंसियों काम कर रही है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दुनिया के किन देशों में लोकतंत्र नहीं है?

दुनिया के किन देशों में लोकतंत्र नहीं है? घाना, म्यांमार और वेटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सऊदी अरब, जार्डन, मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, बहरीन, ओमान, कतर, स्वाजीलैंड आदि देशों में राजतंत्र है। इन देशों में लोकतान्त्रिक संस्थाएं भी काम करती हैं। नेपाल में कुछ साल पहले तक राजतंत्र था, पर अब वहां लोकतंत्र है। दुनिया में 200 के आसपास देश हैं, जिनमें से तीस से चलिश के बीच ऐसे देश हैं, जो लोकतंत्र के दायरे से बाहर हैं या उनमें आंशिक लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र है भी उनमें भी पूरी तरह लोकतंत्र है या नहीं यह बहस का विषय है।  लोकतंत्र और गणतंत्र में क्या अंतर है? लोकतंत्र एक व्यवस्था का नाम है। यानी हम जब भी फैसले करें तब यथेष्ट लोगों की सहमति हो, हालांकि यह अनिवार्य नहीं, पर व्यावहारिक बात है की उसकी संवैधानिक व्यवस्था भी होनी चाहिए। जब शासन पद्धति पर यह लागू हो तो शासन व्यवस्था लोकतान्त्रिक होती है। इसमें हिस्सा लेने वाले या तो आम राय से फैसले करते हैं और यदि ऐसा न हो तो मत-विभाजन करते हैं। ये निर्णय सामान्य बहुम

डायरिया क्या है और इससे कैसे बचें What is Diarrhea in hindi

यदि आपको दिन में तीन बार से अधिक पतला शौच हो तो यह डायरिया के लक्षण (Diarrhea ke lakchan)  होते हैं। यह बीमारी मुख्यतः रोटा वायरस के शरीर में प्रवेश से होता है। यह दो प्रकार का होता है - एक्यूट और क्रोनिक डायरिया।  डायरिया के कारक (Dairiya ke karak) :- डायरिया (Dayria) साधारणता दूषित पनि पीने से होता है। कई बार यह निम्नलिखित कारणों से भी होता है। 1. वायरल इन्फेक्शन के कारण 2. पेट में बैक्टीरिया के संक्रामण से 3. शरीर में पानी कि कमी से 4. आस-पास सफाई ठीक से न होने से डायरिया के लक्षण (Diarrhea ke laxan) :- दिन में लगातार तीन से अधिक बार पतला शौच आना डायरिया का मुख्य लक्षण है। यह साधारणता एक हफ्ते में ठीक हो जाता है। यह क्रोनिक डायरिया (Chronic Diarrhea) कहलाता है। समय पर इलाज न होने पर यह खतरनाक हो जाता है। यह ज़्यादातर बच्चों में होता है और इसमें मृत्यु का सबसे बड़ा कारण डिहाइड्रेशन होता है। पेट में तेज दर्द होना, पेट में मरोड़ होना, उल्टी आना, जल्दी जल्दी दस्त होना, बुखार होना, कमजोरी महसूस करना, आँखें धंस जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं। डाइरिया का इलाज (Dairiya ka

हाइपरएसिडिटी क्या है? What is Hyper acidity in Hindi

हाइपरएसिडिटी क्या है? अगर आपको भूख काम लगती है, पेट खाली होने पर जलन होती है, जो छाती तक महसूस होती है, बार-बार खट्टे डकार आती है, पेट एवं छाती में दर्द होता है, आपका शौच सही तरीके से नहीं होता है, सिर में भारीपन रहता है और नींद नहीं आती है तो समझ लीजिए कि आपको हाइपरएसिडिटि से पीड़ित है। हाइपरएसिडिटि को अति अम्लता भी कहा जाता है। इसका प्रमुख कारण है अनियमित आहार, चाय-कॉफी एवं सॉफ्ट ड्रिंग्स का अधिक सेवन, तीखे-मसालेदार भोजन का सेवन या देर तक खाली पेट रहना, मांसाहारी भोजन का अधिक सेवन, भूख लाग्ने पर भोजन न कर चाय-कॉफी का सेवन करना, सोने का समय निर्धारित नहीं होना, मानसिक तनाव, फल-सब्जियों में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग इत्यादि। उपचार :- इस रोग का उपचार बस इसके कारकों को दूर कर किया जा सकता है। नियमित समयानुसार भोजन ग्रहण करें। चाय-कॉफी और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कम करें। तीखे व मसालेदार भोजन का सेवन बंद कर कर दें। इससे पीड़ित रोगी का अपना पेट खाली नहीं रखना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल में कुछ अच्छा कहते रहना चाहिए। भोजन को खूब चबा-चबा कर खाना चाहिए। खाली पेट में ठंडा दूध का सेवन बहुत फायदेमंद हो

इ-मेल में @ का क्या महत्व है?

इ-मेल में @ का क्या महत्व है? अँग्रेजी के एट या स्थान यानी लोकेशन का वह प्रतीक चिन्ह है। शुरू में इसका इस्तेमाल गणित में 'एट द रेट ऑफ' यानी दर के लिए होता था। इ-मेल में इसके इस्तेमाल ने इसके अर्थ का विस्तार कर दिया। इ-मेल में पते के दो हिस्से होते हैं। एक होता है लोकल पार्ट जो @ के पहले होता है। इसमें अमेरिकन स्टैण्डर्ड कोड फॉर इन्फोर्मेशन इंटरचेंज (ईएससीआईआई) के तहत परिभाषित अक्षर, संख्या या चिन्ह शामिल हैं। चिन्ह @ के बाद डोमेन का नाम लिखा जाता है। यानी इस चिन्ह के पहले व्यक्ति या संस्था का नाम बताने वाले संकेत और उसके बाद डोमेन नाम। कुछ लोगों को लगता है की इस पते को केवल लोअर केस में लिखा जा सकता है। जबकि इसे अपर और लोअर दोनों केस में लिख सकते हैं। Tag: email pate mey @ ka kya mahatva hai? 

पहला इ-मेल किसने और कब भेजा था?

पहला इ-मेल किसने और कब भेजा था? इ-मेल इलेक्ट्रोनिक मेल का संक्षिप्त रूप है। दुनिया का पहला इ-मेल सन 1971 में अमेरिका के कैम्ब्रिज नामक स्थान पर रेमोण्ड एस टॉमलिन्सन नामक इंजीनियर ने एक ही कमरे में रखे दो कम्प्युटरों के बीच भेजा था। कम्प्युटर नेटवर्क अर्पानेट से जुड़े थे। अर्पानेट एक मायने में इंटरनेट का पूर्वज है। यह संदेश को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का प्रयोग था। इ-मेल को औपचारिक रूप लेने में कई साल लगे। अलबत्ता भारतीय मूल के अमेरिकी वीए शिवा अय्यदूरई ने 1978 में एक कम्प्युटर प्रोग्राम तैयार किया, जिसे 'ई-मेल' कहा गया। इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स ऑप्शन थे। सन 1982 में अमेरिका के कॉपीराइट कार्यालय ने उन्हें इस आशय का प्रमाणपत्र भी दिया। इस कॉपीराइट के बावजूद उन्हें इ-मेल का आविष्कारक नहीं कहा जा सकता।  Tag: Who sent the first email and when?