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डायबिटीज क्या है? इसके लक्षण, प्रकार और घरेलू उपाय क्या है?

डायबिटीज क्या है? (What is Diabetes in hindi)


डायबिटीज (मधुमेह) एक क्रोनिक, मेटाबोलिक बीमारी है, जो ब्लड ग्लूकोज  का लेवल बढ़ने से पैदा होती है। यह तब होता है, जब शरीर, खून में ग्लूकोज (शर्करा) के स्तर को ठीक से नियंत्रित करने में असमर्थ होता है, जिससे रक्तप्रवाह में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस अवस्था को मधुमेह या डायबिटीज की बीमारी कहा जाता है। लंबे समय तक डायबिटीज बीमारी होने से यह हार्ट, ब्लड वेसल्स, आँखों और किडनी समेत नर्व्स आदि अंगों को नुकसान पहुंचता है।  पैन्क्रियाज नामक ग्लैंड जब शरीर में इंसुलिन बनाना कम कर देता है या बंद कर देता है जिसके कारण ब्लड में शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है जिसे ही शुगर की बीमारी कहते  है। इंसुलिन खून में ग्लूकोज को कंट्रोल करने में मदद करता है। 

जब हमारे शरीर में तय मानक से अधिक शुगर हमारे ब्लड में होता है तो इसे हाई ब्लड शुगर कहते हैं। हाई ब्लड शुगर से मरीज में हार्ट अटैक, किडनी फेल होना या फिर डायबिटिक कॉमा का खतरा होता है। 



डायबिटीज कितने प्रकार के होते हैं?  (Types of diabetes in hindi)

डायबिटीज दो प्रकार के होते हैं - टाइप 1 डायबिटीज एवं टाइप 2 डायबिटीज 

टाइप 1 डायबिटीज :

  • टाइप 1 डायबिटीज  एक इंसुलिन आधारित डायबिटीज है, जिसमें शरीर में इंसुलिन हर्मोन का बनना पूरी तरह से बंद हो जाता है। हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से पैन्क्रियाज (अग्न्याशय) में इंसुलिन-उत्पादक कोशिकाओं पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। यह आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था में विकसित होता है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। ऐसे में शरीर में ग्लूकोज की बढ़ी हुई मात्रा को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन के इंजेक्शन की जरूरत होती है। ब्लड शुगर यदि लगातार हाई रहे, तो इससे किडनी खराब होने जैसी कई घातक बीमारियाँ भी हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज अक्सर 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले व्यक्तियों में पाया जाता है। टाइप 1 डायबिटीज  वाले लोगों को अपने ब्लड में शुगर के स्तर को बनाए रखने के लिए आजीवन इंसुलिन थेरेपी की आवश्यकता होती है।

टाइप 2 डायबिटीज:

  • टाइप 2 डायबिटीज की विशेषता यह है की यह शरीर द्वारा इंसुलिन का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन तथा उसे प्रभावी ढंग से उपयोग करने में असमर्थ होता है। इसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन तो करता है पर उतनी मात्रा में नहीं कर पता है जिससे की रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को अवस्यकता अनुसार कंट्रोल का सके। टाइप 2 डायबिटीज अक्सर वयस्क लोगों में पाया जाता है परंतु आज-कल के जीवन शैली एवं खान-पान के चलते यह युवा लोगों में भी देखने को मिल रहा है। अपने जीवनशैली तथा  खान-पान में बदलाव कर तथा व्यायाम कर टाइप 2 डायबिटीज से बचा जा सकता है। 

डायबिटीज के क्या लक्षण (symptoms) है? (Symptoms of Diabetes in Hindi)

डायबिटीज के ये प्रमुख लक्षण है:-
  1. बार-बार पेशाब आना, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रक्त में अतिरिक्त ग्लूकोज किडनी को इसे फ़िल्टर करने के लिए अतिरिक्त समय तक काम करने के लिए प्रेरित करता है।
  2. अत्यधिक प्यास लगना , चूंकि बार-बार पेशाब करने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिसके कारण हमारा शरीर पानी की कमी का भरपाई करने की कोशिश करता है जिससे हमे बार-बार प्यास लगने लगता है। 
  3. वजन काम होना , डायबिटीज से पीड़ित कुछ लोगों को सामान्य रूप से या सामान्य से अधिक खाने के बावजूद वजन घटाने का अनुभव होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग करने में असमर्थ होता है, इसलिए यह ईंधन के लिए वसा और मांसपेशियों को तोड़ना शुरू कर देता है।
  4. आँखों की रोशनी लगातार काम होना , हाई ब्लड शुगर का स्तर आंख के लेंस के आकार को प्रभावित कर सकता है, जिससे दृष्टि में अस्थायी परिवर्तन हो सकता है।धुंधली दृष्टि एक सामान्य लक्षण है जिसे ब्लड  शुगर को नियंत्रित करने के साथ सुधर जाता है।
उपरोक्त के अलावा निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं:-
  • हर वक्त  कमजोरी महसूस करना 
  • चोट लगने पर जल्द ठीक नहीं होना 
  • त्वचा के रोग होना 
  • भूख बहुत ज्यादा बढ़ जाना 
  • तबीयत खराब रहना 
  • त्वचा में रूखापन 
  • सिरदर्द 
  • त्वचा या मूत्रमार्ग में संक्रमण 
  • मशपेशियों मे दर्द, इत्यादि। 

डाइबेटीज से बचने के क्या उपाय है?

  • शरीर का वजन संतुलित बनाये रखना चाहिए। 
  • शारीरिक सक्रियता बेहद जरूरी। आधे घंटे का नियमित व्यायाम। इसके अलावा वजन को नियंत्रण में रखने के लिए अन्य प्रकार के कार्यकलाप करते रहना चाहिए। 
  • स्वास्थ्यवर्धक भोजन के अलावा फलों और सब्जियों का सेवन जरूरी। चीनी का सेवन कम और सेचुरेटेड फैट भी कम लेना चाहिए। 
  • तंबाकू का सेवन न करें, क्योंकि इसका सेवन कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के खतरे को बढ़ता है।

डैबिटीज के लिए घरेलू उपाय क्या है? (What are the home remedies for diabetes in hindi)

वैसे तो डॉक्टर द्वारा सुझाई गई मेडिकल उपचार का पालन करना सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह रोग जीवनशैली और आहार के साथ जुड़ा होता है और गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है, फिर भी हमारे आयुर्वेद में इसके बहुत सारे उपाय बताए गए है जो हमें अपने रसोई में उपलब्ध खाद्य-पदार्थों तथा  मौसमी फल एवं सब्जियों के द्वारा किया जा सकता है। 
  • जामुन : मधुमेह के उपचार में जामुन एक पारंपरिक औषधि है। जामुन को मधुमेह के रोगी का ही फल कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसकी गुठली, छाल, रस और गूदा सभी मधुमेह में बेहद फायदेमंद हैं। मौसम के अनुरूप जामुन का सेवन औषधि के रूप में खूब करना चाहिए।जामुन की गुठली संभालकर एकत्रित कर लें। इसके बीजों में जाम्बोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। गुठली का बारीक चूर्ण बनाकर रख लेना चाहिए। दिन में दो-तीन बार, तीन ग्राम की मात्रा में पानी के साथ सेवन करने से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
  • तुलसी के पत्ते: इसमें ऐन्टीआक्सिडन्ट और ज़रूरी तेल होते हैं जो इनसुलिन के लिये सहायक होते है । इसलिए शुगर लेवल को कम करने के लिए दो से तीन तुलसी के पत्ते को प्रतिदिन खाली पेट लें, या एक टेबलस्पून तुलसी के पत्ते का जूस लें।
  • मेथीदाने: मधुमेह के उपचार के लिए मैथीदाने का बहुत महत्व है, इससे पुराना मधुमेह भी ठीक हो जाता है। मैथीदानों का चूर्ण नित्य प्रातः खाली पेट दो टी-स्पून पानी के साथ लेना चाहिए ।
  • आंवले का जूस: 10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पावडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए। इससे खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।
  • गरम दालचीनी: लगभग एक महीने के लिए अपने रोज़ के आहार में एक ग्राम दालचीनी का इस्तेमाल करें, इससे ब्लड शुगर लेवल को कम करने के साथ वजन को भी नियंत्रण करने में मदद मिलेगी।
  • करेले का जूस:  करेले का कड़वा रस शुगर की मात्रा कम करता है।अत: इसका रस रोज पीना चाहिए। उबले करेले के पानी से मधुमेह को शीघ्र स्थाई रूप से समाप्त किया जा सकता है।
  • भिंडी का पानी: काँच या चीनी मिट्टी के बर्तन में 5-6 भिंडियाँ काटकर रात को गला दीजिए, सुबह इस पानी को छानकर पी लीजिए।
  • नीम एवं केला:  मधुमेह मरीजो को नियमित रूप से दो चम्मच नीम और चार चम्मच केले के पत्ते के रस को मिलाकर पीना चाहिए।
  • ग्रीन टी:  ग्रीन टी भी मधुमेह मे बहुत फायदेमंद मानी । जाती है ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स होते हैं जो एक मज़बूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व हैं, शरीर इन्सुलिन का सही तरह से इस्तेमाल कर पाता है।
  • सहजन के पत्ते:  सहजन के पत्तों में दूध की तुलना में चार गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह में इन पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। इसके नियमित सेवन से भी लाभ प्राप्त होता है ।
  • फलों का जूस: एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में बहुत फायदा होता है।
  • गेंहू के पौधे:  गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों से रस निकालकर प्रतिदिन सेवन करने से भी मुधमेह नियंत्रण में रहता है।
  • शलजम:  इसके प्रयोग से भी रक्त में स्थित शर्करा की मात्रा कम होने लगती है। इसके अतिरिक्त मधुमेह के रोगी को तरोई, लौकी, परवल, पालक, पपीता आदि का प्रयोग भी ज्यादा करना चाहिए। मधुमेह उपचार  मे शलजम का भी बहुत महत्व है ।
  • बेल पत्र , 6 नीम के पत्ते, 6 तुलसी के पत्ते, 6 बैगनबेलिया के हरे पत्ते, 3 साबुत काली मिर्च ताज़ी पत्तियाँ पीसकर खाली पेट, पानी के साथ लें और सेवन के बाद कम से कम आधा घंटा और कुछ न खाएं , इसके नियमित सेवन से भी शुगर सामान्य हो जाती है ।
  • नीबू:  मधुमेह के मरीज को प्यास अधिक लगती है। अतः बार-बार प्यास लगने की अवस्था में नीबू निचोड़कर पीने से प्यास की अधिकता शांत होती है।
  • खीरा:  मधुमेह के मरीजों को भूख से थोड़ा कम तथा हल्का भोजन लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे में बार-बार भूख महसूस होती है। इस स्थिति में खीरा खाकर भूख मिटाना चाहिए।
  • गाजर-पालक:  इन रोगियों को गाजर-पालक का रस मिलाकर पीना चाहिए। इससे आंखों की कमजोरी दूर होती है।

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