सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

गर्मी में लू लग जाए तो क्या करें- सरल घरेलू उपाय

गर्मी के मौसम में जैसे-जैसे तापमान बढ़ने लगता है वातावरण में गरम तेज हवा (hot wind) चलने लगती है। परंतु इस बढ़े तापमान में भी हमे अपने घरेलू एवं कार्यालय के कार्यों के लिए अक्सर बाहर जाना पड़ता है। बच्चों की स्कूल से छुट्टियाँ दोपहर में ही होती है तथा महिलाओं को भी दोपहर में ही अपने बच्चों को स्कूल से लेने जाना पड़ता है। जिससे हम सभों को लू लगने (Loo lagne) की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है। अगर गर्मी के मौसम में हम कुछ चीजों का ध्यान नहीं दे तो अवश्य ही गरम लू (hot wind) का शिकार हो जाएंगे। 
लू से बचने के उपाय
कच्चा आम (Kachcha aam) गरमी में होनेवाली कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में सक्षम है। यह डीहाइड्रेशन को दूर कर लू से बचाता है। इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं, जो पेट रोगों को दूर करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। यह फल अपच पर भी लाभ पहुंचाता है। कच्चे आम में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जिस कारण (Raw mango) इसके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। इसके अलावा इसमें पेक्टिन भी काफी अधिक मात्रा में होता है, जो पथरी को बनने से रोकता है। इसमें विटामिन बी भी होता है, जो स्वस्थ रहने में मददगार है। यह शरीर से अवशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालता है।

गर्मी में लू लग जाए तो क्या करें

गर्मी के दिनों में हर जगह कच्चा आम (Kachcha aam) आसानी से मिल जाता है। जब भी आप सब्जी खरीदने जाएँ, कच्चा आम (green mango) अवश्य खरीदें। गर्मी के दिनों में आपके रसोई में कच्चा आम का होना अति आवश्यक है। गर्मी में यदि आपके परिवार के किसी भी सदस्य को लू लग जाए तो उसे कच्चे आम का पन्ना (Kachche aam ka panna) जिसे कच्चे आम का शर्बत (Kachche aam ka sharbat) भी कहा जाता है, पिलाना चाहिए। इसके साथ कच्चे आम को या तो आग में जला लें अथवा उबाल कर उसके गुददे (Aam ke gudde) निकाल लें। अब इस गुददे का लेप लू लगे व्यक्ति के शरीर में लगाएँ। इससे व्यक्ति को तुरंत आराम मिलता है।

कच्चे आम के कई फायदे हैं 

वजन रखता है नियंत्रित : यदि आप वजन घटाना (weight loss) चाहते हैं, तो इसे खाना आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। इसमें कैलोरी काफी कम मात्रा में होती है। इसकी तुलना में पके आमों (ripe mango) में कैलोरी काफी अधिक होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पके आम में शूगर की मात्रा काफी अधिक होती है।

पेट रोग : कच्चा आम पेट की समस्याओं (pet ki samasya) में भी काफी लाभ पहुंचाता है। कच्चे कटे हुए आम को नमक और शहद के साथ मिला कर खाने से गरमी में होनेवाले डायरिया, डिसेंट्री, बवासीर, अपच और कब्ज आदि कई बीमारियों से राहत मिलती है।

ब्लड डिसऑर्डर : ताजे कच्चे आम रक्त से संबंधित समस्याओं को भी दूर करने में सहायक हैं। यह नसों को लचीला बनाता है और खून का निर्माण भी करता है। आम के सेवन से भोजन के पोषक तत्व और आयरन आदि आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। यह एनिमिया को दूर करता है और टीबी, हैजा आदि रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।

कोलेस्ट्रॉल लेवल : रोज कुछ मात्रा में कच्चा आम खाने से कोलेस्ट्रॉल भी कंट्रोल में रहता है। इसमें विटामिन सी, पेक्टिन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। ये खून में बैड कोलेस्ट्रॉल या एलडीएल को बढ़ने से रोकते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ाते हैं। इसमें पोटैशियम भी होता है, जो नवर्स में ब्लड फ्लो को बढ़ाता है, जिससे यह धड़कन और ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखता है। इस कारण हार्ट अटैक और स्ट्रोल का खतरा भी कम होता है।

आंखों के लिए फायदेमंद : इसमें विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में होता है, जो दृष्टि को बेहतर बनाता है और नाइट ब्लाइंडनेस, कैटैरेक्ट, मेक्युलर डीजेनरेशन अरु ड्राईआइ की समस्या को दूर करता है।  

क्या बरतें सावधानी
जहां इसके इतने सारे फायदे हैं वहीं इसे ज्यादा खाने से नुकसान भी हो सकता है। कभी भी एक या दो कच्चे आम से अधिक नहीं खाना चाहिए। अधिक आम खाने से पेट की समस्याएं दूर होने की बजाय और बढ़ सकती हैं। इसे चटनी के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

दुनिया के किन देशों में लोकतंत्र नहीं है?

दुनिया के किन देशों में लोकतंत्र नहीं है? घाना, म्यांमार और वेटिकन सिटी किसी न किसी रूप में लोकतंत्र की परिधि से बाहर के देश हैं। इसके अलावा सऊदी अरब, जार्डन, मोरक्को, भूटान, ब्रूनेई, कुवैत, यूएई, बहरीन, ओमान, कतर, स्वाजीलैंड आदि देशों में राजतंत्र है। इन देशों में लोकतान्त्रिक संस्थाएं भी काम करती हैं। नेपाल में कुछ साल पहले तक राजतंत्र था, पर अब वहां लोकतंत्र है। दुनिया में 200 के आसपास देश हैं, जिनमें से तीस से चलिश के बीच ऐसे देश हैं, जो लोकतंत्र के दायरे से बाहर हैं या उनमें आंशिक लोकतंत्र है। जिन देशों में लोकतंत्र है भी उनमें भी पूरी तरह लोकतंत्र है या नहीं यह बहस का विषय है।  लोकतंत्र और गणतंत्र में क्या अंतर है? लोकतंत्र एक व्यवस्था का नाम है। यानी हम जब भी फैसले करें तब यथेष्ट लोगों की सहमति हो, हालांकि यह अनिवार्य नहीं, पर व्यावहारिक बात है की उसकी संवैधानिक व्यवस्था भी होनी चाहिए। जब शासन पद्धति पर यह लागू हो तो शासन व्यवस्था लोकतान्त्रिक होती है। इसमें हिस्सा लेने वाले या तो आम राय से फैसले करते हैं और यदि ऐसा न हो तो मत-विभाजन करते हैं। ये निर्णय सामान्य बहुम

डायरिया क्या है और इससे कैसे बचें What is Diarrhea in hindi

यदि आपको दिन में तीन बार से अधिक पतला शौच हो तो यह डायरिया के लक्षण (Diarrhea ke lakchan)  होते हैं। यह बीमारी मुख्यतः रोटा वायरस के शरीर में प्रवेश से होता है। यह दो प्रकार का होता है - एक्यूट और क्रोनिक डायरिया।  डायरिया के कारक (Dairiya ke karak) :- डायरिया (Dayria) साधारणता दूषित पनि पीने से होता है। कई बार यह निम्नलिखित कारणों से भी होता है। 1. वायरल इन्फेक्शन के कारण 2. पेट में बैक्टीरिया के संक्रामण से 3. शरीर में पानी कि कमी से 4. आस-पास सफाई ठीक से न होने से डायरिया के लक्षण (Diarrhea ke laxan) :- दिन में लगातार तीन से अधिक बार पतला शौच आना डायरिया का मुख्य लक्षण है। यह साधारणता एक हफ्ते में ठीक हो जाता है। यह क्रोनिक डायरिया (Chronic Diarrhea) कहलाता है। समय पर इलाज न होने पर यह खतरनाक हो जाता है। यह ज़्यादातर बच्चों में होता है और इसमें मृत्यु का सबसे बड़ा कारण डिहाइड्रेशन होता है। पेट में तेज दर्द होना, पेट में मरोड़ होना, उल्टी आना, जल्दी जल्दी दस्त होना, बुखार होना, कमजोरी महसूस करना, आँखें धंस जाना इसके प्रमुख लक्षण हैं। डाइरिया का इलाज (Dairiya ka

हाइपरएसिडिटी क्या है? What is Hyper acidity in Hindi

हाइपरएसिडिटी क्या है? अगर आपको भूख काम लगती है, पेट खाली होने पर जलन होती है, जो छाती तक महसूस होती है, बार-बार खट्टे डकार आती है, पेट एवं छाती में दर्द होता है, आपका शौच सही तरीके से नहीं होता है, सिर में भारीपन रहता है और नींद नहीं आती है तो समझ लीजिए कि आपको हाइपरएसिडिटि से पीड़ित है। हाइपरएसिडिटि को अति अम्लता भी कहा जाता है। इसका प्रमुख कारण है अनियमित आहार, चाय-कॉफी एवं सॉफ्ट ड्रिंग्स का अधिक सेवन, तीखे-मसालेदार भोजन का सेवन या देर तक खाली पेट रहना, मांसाहारी भोजन का अधिक सेवन, भूख लाग्ने पर भोजन न कर चाय-कॉफी का सेवन करना, सोने का समय निर्धारित नहीं होना, मानसिक तनाव, फल-सब्जियों में कीटनाशकों का अधिक प्रयोग इत्यादि। उपचार :- इस रोग का उपचार बस इसके कारकों को दूर कर किया जा सकता है। नियमित समयानुसार भोजन ग्रहण करें। चाय-कॉफी और सॉफ्ट ड्रिंक्स का सेवन कम करें। तीखे व मसालेदार भोजन का सेवन बंद कर कर दें। इससे पीड़ित रोगी का अपना पेट खाली नहीं रखना चाहिए। थोड़े-थोड़े अंतराल में कुछ अच्छा कहते रहना चाहिए। भोजन को खूब चबा-चबा कर खाना चाहिए। खाली पेट में ठंडा दूध का सेवन बहुत फायदेमंद हो

इ-मेल में @ का क्या महत्व है?

इ-मेल में @ का क्या महत्व है? अँग्रेजी के एट या स्थान यानी लोकेशन का वह प्रतीक चिन्ह है। शुरू में इसका इस्तेमाल गणित में 'एट द रेट ऑफ' यानी दर के लिए होता था। इ-मेल में इसके इस्तेमाल ने इसके अर्थ का विस्तार कर दिया। इ-मेल में पते के दो हिस्से होते हैं। एक होता है लोकल पार्ट जो @ के पहले होता है। इसमें अमेरिकन स्टैण्डर्ड कोड फॉर इन्फोर्मेशन इंटरचेंज (ईएससीआईआई) के तहत परिभाषित अक्षर, संख्या या चिन्ह शामिल हैं। चिन्ह @ के बाद डोमेन का नाम लिखा जाता है। यानी इस चिन्ह के पहले व्यक्ति या संस्था का नाम बताने वाले संकेत और उसके बाद डोमेन नाम। कुछ लोगों को लगता है की इस पते को केवल लोअर केस में लिखा जा सकता है। जबकि इसे अपर और लोअर दोनों केस में लिख सकते हैं। Tag: email pate mey @ ka kya mahatva hai? 

पहला इ-मेल किसने और कब भेजा था?

पहला इ-मेल किसने और कब भेजा था? इ-मेल इलेक्ट्रोनिक मेल का संक्षिप्त रूप है। दुनिया का पहला इ-मेल सन 1971 में अमेरिका के कैम्ब्रिज नामक स्थान पर रेमोण्ड एस टॉमलिन्सन नामक इंजीनियर ने एक ही कमरे में रखे दो कम्प्युटरों के बीच भेजा था। कम्प्युटर नेटवर्क अर्पानेट से जुड़े थे। अर्पानेट एक मायने में इंटरनेट का पूर्वज है। यह संदेश को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का प्रयोग था। इ-मेल को औपचारिक रूप लेने में कई साल लगे। अलबत्ता भारतीय मूल के अमेरिकी वीए शिवा अय्यदूरई ने 1978 में एक कम्प्युटर प्रोग्राम तैयार किया, जिसे 'ई-मेल' कहा गया। इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स ऑप्शन थे। सन 1982 में अमेरिका के कॉपीराइट कार्यालय ने उन्हें इस आशय का प्रमाणपत्र भी दिया। इस कॉपीराइट के बावजूद उन्हें इ-मेल का आविष्कारक नहीं कहा जा सकता।  Tag: Who sent the first email and when?