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कहीं आपका बेटा या बेटी डिप्रेशन का शिकार तो नहीं - जानें क्या है इसके कारण और लक्षण

भारत में डिप्रेशन एक प्रमुख सार्वजनिक स्वस्थ्य समस्या है। जिसके कारण रोगों की संख्या, विकलांगता तथा मृत्यु दर में काफी बृद्धि हुई है जिसके काफी हद तक सामाजिक, आर्थिक नुकसान हो रहे है। 
डिप्रेशन का विकार (Depression disorders) बड़ी संख्या में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों, शहरों एवं झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों, युवाओं, महिलाओं, पुरुषों एवं बुजुर्गों को प्रभावित कर रहा है। 
तनाव के कई कारण (causes of depression) है जिनमें जैविक, सामाजिक, शारीरिक एवं सांस्कृतिक कारक शामिल है। तनाव और आत्महत्या एक दूसरे से जुड़े हुए है। तनाव का सबसे खराब स्थिति ही व्यक्ति को आत्महत्या की ओर प्रेरित करता है। तनवग्रस्त व्यक्ति से प्रायः परिवार एवं समाज दूरी बनाने लगता है, उसे बहिष्कृत करने लगता है, दोस्त-मित्र कम बातें करने लगते है। 
दुनिया में आज लगभग 300 मिलियन लोग तनाव से ग्रसित है जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल है। इसमें पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अधिक है। लगभग आठ लाख लोग प्रति वर्ष तनाव के कारण आत्महत्या कर जान दे देते है। यह 15-29 वर्ष के युवाओं में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारक है। डिप्रेशन की दर (Depression Rate) बच्चों लगभग 2% है जबकि युवाओं (youth depression rate) में यह दर 4% - 7% तक है। युवाओं से वयस्कता में प्रवेश के दौरान डिप्रेशन की दर लगभग 20% तक है। 
तनाव काफी हद तक गरीबी से भी जुड़ा हुआ है जिसके कारण व्यक्ति की कार्य कुशलता घटती है जो परिवार के विभिन्न पहलुओं पर जैसे शिक्षा, सामाजिक जीवन, विवाह एवं अन्य कार्यों पर प्रभाव डालता है। 

शुरुआत में तनवग्रस्त व्यक्ति को अपने साधारण काम एवं सामाजिक गतिविधियों को करने में थोड़ी कठिनाई होती है परंतु इस तरह के लोग अपने कार्यों को करना पूरी तरह से बंद नहीं करते और धीरे-धीरे करते हैं। 

परंतु यह धीरे-धीरे तनाव का प्रभाव बढ़ता जाता है, इस स्थिति में एक निश्चित सीमा को छोड़ कर व्यक्ति अपने सामाजिक एवं घरेलू कार्यों को करने के लिए असमर्थता महसूस करने लगता है।
डिप्रेशन अक्सर चिंता कि भावनाओं के साथ-साथ होता है जो आपके परिवार, मित्र, कार्यस्थल या स्कूल में विभिन्न समस्याओं का कारण बनता है। जीवन में डिप्रेशन के पहले एपिसोड कि शुरुआत युवावस्था या वयस्कता के शुरुआती समय में शुरू होता है।  

प्रत्येक के जीवन में उतार-चढ़ाव आता है, हम उदास महसूस करते हैं, हमे असफलता मिलती है। हमारे दिलो-दिमाग से उदासी तथा निराशा का अनुभव करना ही डिप्रेशन कहलाता है। यह उदासी या निराशा एक हफ्ते तक या एक महीने तक रह सकती है, जो व्यक्ति के रोज़मर्रा की गतिविधियों में भाग लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। डिप्रेशन व्यक्ति के मनःस्थिति, दृष्टिकोण, विचार एवं व्यवहार को प्रभावित करती है। 
डिप्रेशन जीवन के सामान्य तनाव के कारण नहीं होता है परंतु जीवन कि कोई नकारात्मक घटना जैसे किसी प्यारे व्यक्ति का आपके जीवन से चला जाना, किसी कि मृत्यु, किसी प्यारे या भरोसेमंद व्यक्ति से धोखा खाना, किसी भी तरह का गंभीर या लंबे समय का तनाव, बच्चों को ले कर लंबे समय तक नकारात्मक सोच या किसी भी प्रकार के अनहोनी का डर आदि डिप्रेशन के एक एपिसोड (Episode of depression)  कि शुरुआत करती है। 

युवाओं में डिप्रेशन या तनाव एक गंभीर मानसिक स्वस्थ्य समस्या बनती जा रही है जिसके कारण उदासी छाने लगती है, पढ़ाई में मन नहीं लगता है, अपने विभिन्न दैनिक एवं सामाजिक कार्यों को ठीक से नहीं कर पता है। इसके परिणाम स्वरूप वह नशे की सेवन की ओर बढ्ने लगता है। यह आपके बच्चे की सोच और व्यवहार को प्रभावित करने लगता है जिससे भावनात्मक, कार्यात्मक और शारीरिक समस्याएँ पैदा होने लगती है। 
हालांकि जीवन में डिप्रेशन कभी-भी किसी को भी अपने चपेट में ले सकता है। पहले चिकित्सा जगत की यह अवधारणा थी की केवल वयस्कों को प्रभावित करता है। परंतु ऐसा नहीं है, डिप्रेशन की शुरुआत युवा अवस्था में ही हो जाती है जो तेजी से बढ़ती जाती है। लगभग 11 प्रतिशत युवा अपने युवा काल में डिप्रेशन का अनुभव करते हैं। आज युवाओं में परिवार के द्वारा शैक्षणिक अपेक्षाएँ बहुत ज्यादा है। इसके साथ-साथ किशोरावस्था में अनेक शारीरिक परिवर्तन के कारण भी उनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव होता है जिससे उनमें भावनात्मक बदलाव आता है। 

माता-पिता के द्वारा अपने बच्चों को बार-बार कार्यों को करने से मना करने के कारण बच्चों में निराशावादी सोच विकसित होने लगती है। बच्चों को उनके छोटे-छोटे कार्य खुद न करने देने के कारण वे चुनौतियों को से लड़ने के बजाय असहाय महसूस करना सीखते हैं। 
किशोरावस्था, माता-पिता एवं बच्चों दोनों के लिए एक कठिन समय हो सकता है। बच्चों के विकास के इस अवस्था में कई तरह के शारीरिक, मानसिक एवं हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। ये परिवर्तन कभी-कभी असामान्य होने लगती है जिसे पहचानना काफी मुश्किल होता है जो किशोरों में डिप्रेशन का कारण बनता है। शारीरिक, भावनात्मक एवं यौन शोषण किशोरों में डिप्रेशन का एक प्रमुख कारण है। पारिवारिक संकट जैसे मृत्यु या माता-पिता के बीच तलाक, बार-बार बहस करना, घर में हिंसा आदि भी डिप्रेशन का कारण है। इसके अलावा, ऐसे युवा जो अपनी यौन पहचान के साथ संघर्ष कर रहे हैं, उनमें भी डिप्रेशन कि जोखिम उच्च स्तर पर होता है। 
उदास रहना, बिना किसी ठोस कारण के रोना, छोटे-छोटे बातों में क्रोधित होना, निराशाजनक या असहाय महसूस करना, सामान्य गतिविधियों में रुचि या खुशी महसूस न करना, आत्मविश्वास की कमी, निकम्मापन या अपराध बोध की भावना, अपने विफलताओं पर अपने-आप को दोष देना, किसी के द्वारा अस्वीकृत किए जाने अथवा विफलता के लिए अत्यधिक संवेदनशील होना, परेशान करने वाली सोच, भविष्य अंधकरमय लगना,  सामाजिक अलगाव, खराब शैक्षणिक प्रदर्शन, स्कूल से लगातार अनुपस्थिति, व्यक्तिगत स्वच्छता पर कम ध्यान देना, खुद को नुकसान पहुंचाना, आत्महत्या जैसे विचार का आना आदि युवाओं में डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Depression) है। 
थकान महसूस करना, ऊर्जा की कमी, अनिद्रा या अत्यधिक नींद आना, भूख में कमी तथा वजन में कमी, नाशपान, उग्रता तथा बेचैनी, शारीरिक क्रिया-कलाप में सुस्ती आना, सिरदर्द एवं बदन दर्द की शिकायत आदि शारीरिक समस्या (Physical problems due to depression) उत्पन्न होती है। 

चूंकि युवा अवस्था में काफी भावनात्मक, कार्यात्मक एवं शारीरिक बदलाव होते हैं अतः युवावस्था अथवा युवा में डिप्रेशन (Depression in youth) पर फर्क करना थोड़ा मुश्किल है। इसके लिए आप अपने बच्चों से बातें करें, जानने की कोशिश करें की आपका बेटा अथवा बेटी चुनौतीपूर्ण भावनाओं से लड़ने के लिए सक्षम है या नहीं। परंतु यदि आपका युवा इन अवस्थाओं में जीवन के भारीपन का एहसास करता है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है। 
डिप्रेशन से प्रभावित व्यक्ति दुनिया को नकारात्मक दृष्टि से देखता है। वह अपने-आप में अत्यंत गंभीर होता है तथा अपने-आप को बेकार और अप्रिय महसूस करता है। वह छोटी-छोटी समस्याओं से घबरा जाता है जिनसे एक आम आदमी आसानी से संघर्ष कर लेता है। वह अपने-आप में हारा हुआ या त्यागा हुआ महसूस करता है और अपने परिवार, समाज या दोस्तों से दूरी बनाने लगता है। वह बातें कम करना तथा अकेला रहना पसंद करता है। यह अवस्था उसे डिप्रेशन के और अधिक बुरे प्रभाव में ले लेता है। 

डिप्रेशन परिवार में होता है, इसका मतलब यह नहीं कि परिवार का हर सदस्य डिप्रेशन का शिकार है। परंतु यह भी सही नहीं है कि जिस परिवार में लोग डिप्रेशन से प्रभावित नहीं है तो कोई भी व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार नहीं होगा। वहाँ भी कोई एक सदस्य डिप्रेशन का शिकार हो सकता है। 
डिप्रेशन सभी मानसिक स्वस्थ्य समस्याओं (Mental health problem) में से सबसे आम समस्या है। इस समस्या में अच्छी बात या है कि इसका उपचार किया जा सकता है। एक युवा, डिप्रेशन से प्रभावित है, यह बात उसके परिवार वाले या मित्र समझ नहीं पाते हैं तथा यह भी नहीं जानते हैं कि परिवार में यदि कोई युवा डिप्रेशन से प्रभावित है तो इसके उपचार के लिए किसी मनोचिकित्सक कि मदद लेनी चाहिए। 

यदि आपका बच्च डिप्रेशन से प्रभावित है तो आप क्या करेंगे 

यदि ऊपर दिये गए लक्षण आपके बच्चे में भी दिखाई दे रहे हैं तो सबसे पहले आप किसी अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह लीजिए। बच्चे के साथ रहे तथा व्यक्तिगत तौर पर उसकी मदद करने कि कोशिश करें। याद रखें कि डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति चीजों को अधिक नकारात्मक दृष्टि से देखता है जितना कि वह है नहीं। बच्चों को अकेला न छोड़ें तथा उन चीजों को उनसे दूर रखें जिन्हें वह पसंद नहीं करता है। 
जौभिकी, यह चुनौतीपूर्ण है, पर आपके बच्चे को यह एहसास होना चाहिए कि आप उसका केयर कर रहे हैं। डिप्रेशन से पीड़ित बच्चे को यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है कि आप उसकी परवाह कर रहे हैं। परंतु यह महत्वपूर्ण है कि आप उसे एहसास दिलाने कि कोशिश करते रहें कि आप उसका केयर कर रहे हैं। अपने बच्चे को आश्वस्त करें कि उचित उपचार के द्वारा वह सकारात्मक भविष्य बनाने में सामर्थ होगा तथा एक स्वस्थ और सफल जीवन जिएगा। 

अपने बच्चे को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करें जैसे रोजाना व्यायायम, रात में अच्छे से सोना तथा स्वस्थ आहार कि आदतें आदि। जब आप किसी के बातों को सुनते हैं तथा उनकी भावनाओं को स्वीकार करते हैं तो उस व्यक्ति को लगता है कि आप उसका केयर करते हैं। 


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